दिलकशी
मेरे प्यार से भी प्यारे सुमित के लिए...
जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं!
बहुत खोई-सी किसी उलझी-सी डगर पर खड़ी थी,
कि मानो आगे सफर खत्म-सा लगने लगा था
पर दूर किसी नूर-सा चमकता हुआ तू,
मेरी स्याही-सी वो अंधेरी राह को संवारने यूं मौजूद था।
मई की वो एक हसीन शाम जिसने दिया था,
हमारे दिलकश याराना की आगाज़ को अंजाम
कुछ अजनबी-से, बेगाने-से, नाज़ुक-से वो दो दिल,
न जाने कैसे जुड़ गए इतने फासलों में भी शामिल।
माना कि तेरी वो लाख खूबियों से मैंने इश्क़ किया,
लेकिन यार! तेरी तो खामियों ने भी मेरी रूह को सुकून दिया
यक़ीनन फ़रेब होगा अगर मैं कहूं कि,
तेरी वो हर अदा बयां करने में मैंने अल्फाज़ों के नुक्स को महसूस नहीं किया।
वो लंबे ई-मेल्स और मेरी कभी न खत्म होने वाली बातें,
वो दिलचस्प फोन कॉल्स और तेरे साथ बिताए सारे लम्हातें
वो मौसिकी की धुनों की गुफ़्तगू होते बड़े खास,
वो "सजदे" के सुरों में हमने ढूंढा अपनेपन का अनोखा एहसास।
तुमसे कभी रुबरु तो हुई नहीं, न कोई बंधन है हमारे दरमियान,
फिर भी इस कल्ब के हर किश्त को एतिमाद कि तुमसे है कोई निस्बत नादान
तमन्ना है इस "ज़फीरा" कि ये राब्ता सदा कायम रहे
दोस्ताना ये हमारा हरदम नई बुलंदियों को छूता रहे |
मुमकिन किसी पहर ज़िन्दगी हमें ऐसे मोड़ पर ले आएगी,
जहाँ ये रिफ़ाक़त सिर्फ यादों के गलियारों में न तो रह जाएगी?
कभी वक्त बदल भी जाए, या राहें हमें जुदा कर जाँए
हम न करेंगे शिकवा, न गिला इन फासलों से कभी
क्योंकि तुम मुसलसल हमारे क़मर, और हम तुम्हारे मुरीद वही।
-ज़फीरा
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